tag:blogger.com,1999:blog-3734681995759105849.post9187246506367682562..comments2024-03-29T00:37:35.393-07:00Comments on ज़िन्दगी, तुम्हारे लिए!: जिज्ञासा के बाद शून्यता!Roli Abhilashahttp://www.blogger.com/profile/07841147409129580434noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3734681995759105849.post-65755899913207753622021-08-03T22:29:20.873-07:002021-08-03T22:29:20.873-07:00शून्यता तो
जिज्ञासा के बाद
कुछ खोने की
अवस्था मे...शून्यता तो <br />जिज्ञासा के बाद<br />कुछ खोने की <br />अवस्था में आती है---गहन कविता। शून्यता में सारी गहनता है और शून्यता में सबकुछ विलीन...। दर्शन भी शून्य से आरंभ होकर शून्य में ही विलीन होता है...। अच्छी रचना है आपकी। खूब बधाईPRAKRITI DARSHANhttps://www.blogger.com/profile/10412459838166453272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3734681995759105849.post-82528830636728680732021-08-03T16:46:50.423-07:002021-08-03T16:46:50.423-07:00स्नेहिल आभार रेणु जी!स्नेहिल आभार रेणु जी!Roli Abhilashahttps://www.blogger.com/profile/07841147409129580434noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3734681995759105849.post-64547738440276895252021-08-03T10:16:27.734-07:002021-08-03T10:16:27.734-07:00मार्मिक चित्रण अभिलाषा जी। युवा बेटेका युवा पत्नी ...मार्मिक चित्रण अभिलाषा जी। युवा बेटेका युवा पत्नी की आंखों में खोकर माता पिता के सपनों को रौंदने की कहानी हर बार दोहराई जाती है बस पात्र अलग हो जाते हैं। दुनिया गोल जो घूमती है। बेटे की कहानी दोहराने उसका बेटा आ जाएगा।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com