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मेरा पुनर्जन्म

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सुनो,
आज की रात
चाँद जमीन पर उतारकर भी करना!
जब अहसासों की जुम्बिश
निंदिया की हथेली पर
धीरे-धीरे करवट लेगी
तो तारे अपनी नींद भर सोएंगे,
मैं तुम्हारे पहलू में रात भर
भोर की राह तकुंगी।
अपने जीवन के प्रलय को
तुम्हारे सृजन के क्षणों से धोती रहूँगी।
आज की रात
तुम्हारे देह की उष्णता से
हुई बूंदों का स्खलन
मेरे भीतर का बीज प्रस्फुटित कर चुका है,
अब वो ऋतु नहीं होगी कुछ माह
मेरे अंतर में होता रहेगा
मेरा ही पुनर्जनम।

मनुहार की हथेली

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सुनो
अब इतनी भी खामोशी
अच्छी नहीं होती,
ये झूठमूठ का अनशन क्यों?
देखो न ये शब्द
सुहागरात को मचल रहे हैं,
और तुमने तो
कलेवा भी नहीं किया,
इन्हें इनके हक़ का दे दो,
अब हम खाली शब्दों से
नहीं मानने वाले,
हमें तो खुशी की पलक पर
उम्मीद का दिया जलाना है,
रात की रानी को
तुम्हारी हँसी से सजाना है,
आओ न
मनुहार की हथेली पर
हां की हल्दी का टीका करो
और
नज़रों के अक्षत से
इस सेज का श्रीगणेश।

वक्रीय दुश्वारियां


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वो हर रास्ता तय करता गया
ये समझे बगैर
कि उसका हर कदम उल्टा है,
जीवन की बारीकियों में उलझा रहा,
मोटी रेखाएं उसके चारों ओर
त्रिभुज की तरह अड़ गईं,
घेरा तो हर ओर से आच्छादित था
मगर उसने
एक रेखा उठाकर राह बनानी चाही,
समानांतर क्रम टूटा
और राह बनी रेखा पर
समय की वीभत्स दुश्वारियां
360° में नियत हो गईं।

गुनाह

उसने प्यार को गुनाह बताकर
अपने सिरहाने
मगर तकिये के नीचे रखा,
आंखों से रिसते हुए आँसू
उस गुनाह की स्याही को
बूंद-बूंद धोते रहेंगें
और वो तिल-तिल
कसमसाता रहेगा।
उस पाकीज़गी को
गुनाह बनाने में
वो भी तो गुनहगार था
लम्हा दर लम्हा।
कल की सुबह भी
उस गुनाह की स्याही
ज्यों की त्यों मिलेगी
क्योंकि
आंख से रिसने वाली हर बून्द
तकिये के अहम को
भेद नहीं पाएगी
गुनाह और संवर जाएगा।

मैं तुम्हारी अर्धांगिनी


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अब तक
तुम्हारी परछाईं बनकर
जिया है हर लम्हा,
तुम्हारे पास मगर दूर रहकर
तय किया है हर सफर।
तुम्हारी तन्हाइयों से लिपटकर
मनाई है अपनी सुहागरात,
मैंने पहने हैं
तुम्हारे अहसासों के जेवर,
कहाँ है तुम्हारे नाम का सिंदूर,
मेरी बेनूर ज़िन्दगी
सोलह सिंगार मांगती है,
मुझे भी वो रात दो न,
नहीं बनाना है मुझे तुमको
अपने जीवन का
बिखरा हुआ पन्ना,
कहो न अब तुम्ही हो
मेरे सपनों के राजकुमार
और मैं तुम्हारी अर्धांगिनी।

Let me love..

Let me love
whole the night.
Let me love
till sun is bright.
Let me love
to feel the warm.
Let me love
to fall your arms.
Let me love
to dive in sense.
Let me love
to become insane.

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php