वहाँ न तो दिन होता है
न रात होती है,
न जश्न होता है
न बारात होती है..
प्रेम की गोदावरी
जहाँ बहती रहती है;
हथेलियों में रेखाएं नहीं होती
न ही पाँवों में निशान
होंठ भी कब हिलते हैं
अपनी जगह से,
आँखे लम्हे बुनती रहती हैं
और साँसें
बस सदियां चलती जाती है,
तन निःश्वास हो जाए
फिर भी
मन, प्रेम की उजास में
प्राणवान रहता है।
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