फिर कभी मिल जायेंगे
तुम जम्हाई बोना मेरे चेहरे पर
अपने पास बिठा लेना
हम ख़्वाब में भी बस तुम्हें
हाँ तुम्हें गुनगुनायेंगे
वो जो कविता गायी थी
तुमने एक रोज मेरे लिए,
उसके सुरों से एक सड़क बनायी है
उसके इर्द-गिर्द तन्हाई बिछायी है
हम चलेंगे एक दिन उस सड़क पर
साथ-साथ
यूँ ही अलग अलग रास्तों से
फिर कभी हम मिल जायेंगे
संगीत के सादा नोट की तरह
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