दो असंगत लोग
एक लाचार कंधा
एक बेपरवाह सर.
दो मिथ्या तर्क
एक स्त्री की श्रेष्ठता
एक पुरुष की पूर्णता.
दो वर्जनाएं
एक विधवा की हंसी
एक प्रेमी का विलाप.
दो उपलब्धियां
एक बिना नींद का बिस्तर
एक बिना प्रेम का सिंदूर.
दो अनुपस्थितियां
एक कविता में भाव
एक मर्सिया का प्रभाव.
दो सलीके
एक भूखे पेट की नैतिकता
एक द्रोही का प्रश्न.
दो झूठे सच
एक बची हुई स्त्रियां
एक सदानीरा नदियां.
दो अबूझी पहेलियां
एक पुरुष का मौन
एक समय के पार कौन.
दो आलिंगन
एक जिसमें असीम प्रेम हो
दूसरा जिसमें प्रेम ही न हो.
दो विरह
एक पतंग से डोर
एक रात अमावस का भोर.
दो संदेशे
एक प्रेयसी का
एक प्रेयसी के लिए.
...और ब्रह्मांड के दो रहस्य
पहली पौरुषहीन स्त्री
दूसरा स्त्रीत्व विहीन पुरुष.
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 13 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१४-१२-२०१९ ) को " पूस की ठिठुरती रात "(चर्चा अंक-३५४९) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
लाजवाब
जवाब देंहटाएंलाजवाब।
जवाब देंहटाएंनिशब्द सृजन।
Wow great,
जवाब देंहटाएंबिना कहे ही सब कुछ कहना है,
शायद यही आपकी कलम का गहना है।
Wow great!
जवाब देंहटाएंबिना बोले ही सब कुछ कहना है,
यही आपकी कलम का गहना है।।