वेदना की देहरी पर मृत्यु का आभास करने
पीर की हल्दी सजाए, तुमको आना ही पड़ेगा
शुष्क साँसे थम रही हैं, शब्दों का तुम पान दो
भींच कर छाती से मुझको, अधरों पे मेरा नाम लो
किस घड़ी ये साँस छूटे, देह हो पार्थिव मेरी
पुष्प लेकर अंजलि में, शूल का आभास करने
प्रेम का रिश्ता निभाए, तुमको आना ही पड़ेगा
न कोई मंगल की बेला, न शहनाई का शोर हो
न हो कोई डोली विदा की, न चतुर्शी की भोर हो
छोड़ूँ जब बाबुल की नगरी तुम डगरिया में मिलो
नेह के अंतिम क्षणों में बस मिलन का विषपान हो
तीस्ते नीले गरल में, अमिय का आभास करने
हिय, दर्द के बंधन छुपाए तुमको आना ही पड़ेगा
ये धरा साक्षी समर की, प्रेम से पावन है नभ
हैं जलिधि का नीर आँखें, आशीष देते गिरि सब
आए आचमन को पयोधि, पवन अस्थियों के तर्पण को
आग के श्रंगार तक रुक जाना तुम विसर्जन को
वेदना के इन क्षणों में, वेदना का ह्रास करने
रति की वाणी मुख लगाए, तुमको आना ही पड़ेगा.
बहुत सुन्दर और सारगर्भित गीत।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका सर 🙏
हटाएंआए आचमन को पयोधि, पवन अस्थियों के तर्पण को
जवाब देंहटाएंआग के श्रंगार तक रुक जाना तुम विसर्जन को
वेदना के इन क्षणों में, वेदना का ह्रास करने
रति की वाणी मुख लगाए, तुमको आना ही पड़ेगा. वाह! बहुत सुंदर प्रणय-मनुहार!
बहुत आभार मान्यवर 🙏
हटाएंन कोई मंगल की बेला, न शहनाई का शोर हो
जवाब देंहटाएंन हो कोई डोली विदा की, न चतुर्शी की भोर हो
छोड़ूँ जब बाबुल की नगरी तुम डगरिया में मिलो
आहा कितने प्यारे भाव उकेरें है और अभिभूत कर देने वाला समय बाँधा है आपने
वेदना के इन क्षणों में, वेदना का ह्रास करने
रति की वाणी मुख लगाए, तुमको आना ही पड़ेगा.
बहुत ही प्यारा गीत रचा है आपने
बधाई
बहुत आभार आपका मन से पढ़ने के लिए 🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 27 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी सादर धन्यवाद आपका. मैं उपस्थित रहूँगी.
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जवाब देंहटाएंये धरा साक्षी समर की, प्रेम से पावन है नभ
हैं जलिधि का नीर आँखें, आशीष देते गिरि सब
आए आचमन को पयोधि, पवन अस्थियों के तर्पण को
आग के श्रंगार तक रुक जाना तुम विसर्जन को
वेदना के इन क्षणों में, वेदना का ह्रास करने
रति की वाणी मुख लगाए, तुमको आना ही पड़ेगा.
अति उत्तम ,बहुत ही सुंदर ,जोया जी ने सही कहा ,बधाई हो
बहुत बहुत आभार आपका 🙏
हटाएंधन्यवाद 🌻
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार मान्यवर!
हटाएंअनुराग की साधिकार मनुहार प्रिय अभिलाषा जी | ये प्रेम अद्भुत है | हार्दिक स्नेह के साथ शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार सखी!
हटाएंबहुत आभार माननीय 🙏
जवाब देंहटाएंThanks much!
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