शब्दों से ध्वनियों को विरत कर
उसने कहा, 'अब कहो प्रेम'
बधिर हो लाज तज
एक मूक ने उन आँखों पर लिख दिया
'अब भी हूँ तुम्हारी सप्रेम’
एक मूक से वाचाल भी
अब मूक हो गया
तवे पर रोटी का सिक जाना
कोई नयी बात कहाँ
प्रेम में रोटी दो जून की बनाना
कोई नयी बात कहाँ
रोटी और तवे का स्नेह जलता रहे!
@main_abhilasha
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