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प्रेम में मैं

मुझे तुमसे

लड़ना नहीं था

पर तुम्हारे सामने

खड़े होना था

जब तुम्हारी ओर

बढ़ने लगे

बहुत से हाथ

सहानुभूति के

जब तुम बढ़ाने लगे

अपने दायें बायें

क़द औरों का

तब मेरी ज़िद थी

मुझे तुमसे

आगे निकलना था

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