शब्द ही शिव हैं
कभी प्रेम के रचे जाते हैं
कभी उद्वेग
तो कभी अंत के.
आच्छादित करते हैं
मन की तृष्णा को
समय के बहाव
और नदी के वेग को.
है शब्द का अमरत्व ये
कर में सरल है
दिमाग में भुजंग हैं
मन में महत्वहीन बन जाते हैं.
कविता का शीर्षक माननीय अनूप कमल अग्रवाल जी "आग" के शब्दों से उद्धत है 🙏
ओम शब्द , ओम ब्रह्म।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है।
हृदयतल से आभार डॉक्टर साहब 🙏
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -7 -2020 ) को शब्द ही शिव हैं( चर्चा अंक 3769) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत-बहुत आभार आदरणीया आपका 🙏
हटाएंआभार आपका!
जवाब देंहटाएंआभार आपका!
जवाब देंहटाएंशब्द ही शिव है शिव ही सत्य है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
आभार आपका!
हटाएंशब्द शिव और शिव सुंदर ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
बहुत आभार आपका माननीय!
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका!
हटाएंबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
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