प्रेयसी बनना चाहती है वो
पर बिना पहले मिलन
प्रेम सम्भव ही कहाँ,
सुलझाते हुए अपने बालों की लटें
उसे प्रतीक्षा होती है उस फूल की
जो उसका राजकुमार लाएगा
जूड़े में लगाने को.
चढ़ाते हुए चूल्हे पर चाय
वो मिठास ढूँढती है
कि उन हाथों में जाने से पहले प्याला
मद्धम आँच के ज्वार भाटे सहेजेगा,
उद्विग्न हो उठता है उसका मन
प्रेयसी बनने को.
कोई भी शब्द पढ़ने से पहले
समझना चाहती है
इस ब्रह्मांड की सभी मौन लिपियाँ
कि उनके पार जा सके
और जान सके प्रेम के अनकहे रहस्य
प्रेयसी बनकर.
इच्छाओं के समंदर को जीते हुए
वो बनकर रह गई है प्रेम सी
अब उसे अपना मन रिक्त करना है
अपना यायावर प्रेम
लुटाना है उस प्रेमी पर
जिसके साथ पहली ही मुलाक़ात
अभी लंबित है.
पर बिना पहले मिलन
प्रेम सम्भव ही कहाँ,
सुलझाते हुए अपने बालों की लटें
उसे प्रतीक्षा होती है उस फूल की
जो उसका राजकुमार लाएगा
जूड़े में लगाने को.
चढ़ाते हुए चूल्हे पर चाय
वो मिठास ढूँढती है
कि उन हाथों में जाने से पहले प्याला
मद्धम आँच के ज्वार भाटे सहेजेगा,
उद्विग्न हो उठता है उसका मन
प्रेयसी बनने को.
कोई भी शब्द पढ़ने से पहले
समझना चाहती है
इस ब्रह्मांड की सभी मौन लिपियाँ
कि उनके पार जा सके
और जान सके प्रेम के अनकहे रहस्य
प्रेयसी बनकर.
इच्छाओं के समंदर को जीते हुए
वो बनकर रह गई है प्रेम सी
अब उसे अपना मन रिक्त करना है
अपना यायावर प्रेम
लुटाना है उस प्रेमी पर
जिसके साथ पहली ही मुलाक़ात
अभी लंबित है.
19 टिप्पणियां:
कोई भी शब्द पढ़ने से पहले
समझना चाहती है
इस ब्रह्मांड की सभी मौन लिपियाँ
कि उनके पार जा सके
और जान सके प्रेम के अनकहे रहस्य
प्रेयसी बनकर.
किसी भी अतिरेक से परे, आपके निश्छल मन की यह अभिव्यक्ति लाजवाब है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया रोली जी।
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०४-०४-२०२०) को "पोशाक का फेर "( चर्चा अंक-3661 ) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०४-०४-२०२०) को "पोशाक का फेर "( चर्चा अंक-३६६१ ) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
बहुत सुंदर !
इच्छाओं के समंदर को जीते हुए
वो बनकर रह गई है प्रेम सी
भावपूर्ण सृजन ,सादर नमन
सुन्दर प्रस्तुति
वाह!!!
बहुत लाजवाब।
आदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ हेतु नामित की गयी है। )
'बुधवार' ०८ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_8.html
https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
चढ़ाते हुए चूल्हे पर चाय
वो मिठास ढूँढती है
कि उन हाथों में जाने से पहले प्याला
मद्धम आँच के ज्वार भाटे सहेजेगा,
उद्विग्न हो उठता है उसका मन
प्रेयसी बनने को..... बहुत खूब लिखा रोली अभिलाषा जी
आदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ हेतु नामित की गयी है। )
'बुधवार' ०८ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_8.html
https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
हम्म...
बेहद प्यारी रचना.
नई रचना- एक भी दुकां नहीं थोड़े से कर्जे के लिए
आभार आपका
देरी के लिए क्षमा...आभार आपका
स्नेहिल आभार 🙏
आभार
आभार
स्नेहिल आभार!
आभार
आभार आपका!
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