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ज़िन्दगी...बस तुम चाहिए


वैलेंटाइन बनोगे हमारे

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एक पाती प्रेम की



प्रेम कविता लिखनी थी
सब कुछ तो है
कागज़, कलम, स्याही
बस प्रेम का रंग नहीं
क्या कहते हो बोलो
......छोड़े दें या....
ला रहे हो
वो गुलाबी रंग 
हमारे अंतस वाला...




सस्नेह
तुम्हारी ...
क्या लिख दें बोलो?



चुंबन प्रेम की ऊर्जा है


जहाँ बस प्रेम होता है...

वहाँ न तो दिन होता है
न रात होती है,
न जश्न होता है
न बारात होती है..
प्रेम की गोदावरी
जहाँ बहती रहती है;
हथेलियों में रेखाएं नहीं होती
न ही पाँवों में निशान
होंठ भी कब हिलते हैं
अपनी जगह से,
आँखे लम्हे बुनती रहती हैं
और साँसें
बस सदियां चलती जाती है,
तन निःश्वास हो जाए
फिर भी
मन, प्रेम की उजास में
प्राणवान रहता है।

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php