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वो हर रास्ता तय करता गया
ये समझे बगैर
कि उसका हर कदम उल्टा है,
जीवन की बारीकियों में उलझा रहा,
मोटी रेखाएं उसके चारों ओर
त्रिभुज की तरह अड़ गईं,
घेरा तो हर ओर से आच्छादित था
मगर उसने
एक रेखा उठाकर राह बनानी चाही,
समानांतर क्रम टूटा
और राह बनी रेखा पर
समय की वीभत्स दुश्वारियां
360° में नियत हो गईं।