ईश्वरेच्छा बलियसी











अक्सर

कहाँ मिलता ईश्वर?

ईश्वर, तुम मत सिमट जाना

श्रावण की पार्थी में

या मंदिर के किसी लिंग में

तुम रहना इन निम में!


पूजा को समर्पित मेरी आँखें चिरायु हों!


13 टिप्‍पणियां:

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सार्थक और भावप्रवण रचना

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Anita ने कहा…

पार्थी और निम का अर्थ स्पष्ट नहीं हुआ

आलोक सिन्हा ने कहा…

सुन्दर

Alaknanda Singh ने कहा…

शानदार रचना

रोली अभिलाषा ने कहा…

पार्थी जो अभिषेक में बनाते हैं और निम माने पलक.

रोली अभिलाषा ने कहा…

आभार!

रोली अभिलाषा ने कहा…

आभार!

रोली अभिलाषा ने कहा…

बहुत आभार!

रोली अभिलाषा ने कहा…

बहुत आभार!

रोली अभिलाषा ने कहा…

आभार!

Rupa Singh ने कहा…

गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनाएं। रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति सभी को आरोग्य व सुख समृद्धि प्रदान करें 🙏
बहुत सुन्दर रचना।

रोली अभिलाषा ने कहा…

बहुत आभार! आपको भी शुभकामनाएँ!

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php