अब मैं भी थमा दिया करूँगी उसकी यादों को ख़ामोशी. कुछ भी हो प्रेम तो बने रहने देना है न!
To explore the words.... I am a simple but unique imaginative person cum personality. Love to talk to others who need me. No synonym for life and love are available in my dictionary. I try to feel the breath of nature at the very own moment when alive. Death is unavailable in this universe because we grave only body not our soul. It is eternal. abhi.abhilasha86@gmail.com... You may reach to me anytime.
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मेरी पहली पुस्तक
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•जन्म क्या है “ब्राँड न्यू एप का लाँच” •बचपन क्या है टिक टाक वीडियो •बुढ़ापा क्या है "पुराने एप का नया लोगो” •कर्म क्या हैं “ट्रैश” •मृ...
17 टिप्पणियां:
.प्रेम और प्रेम के लिए की गयी ईर्ष्या.-----
बहुत खूब अभिलाषा जी | प्रेम के साथ ईर्ष्या यूँ ही उग जाती है खरपतवार की तरह !है ना -- ?
नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 09 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत जेरूरी है प्रेम का होना ....
अच्छा लिखा है ...
बहुत आभार श्रीमान जी 🙏
बहुत बहुत आभार मान्यवर 🙏
बिल्कुल सही कहा आपने प्यारी सखी...ईर्ष्या प्रेम का प्रकांड स्वरूप है. इसके अस्तित्व से इनकार ही कौन कर पाया. धन्यवाद आपका ❤️
बहुत खूब
सुन्दर गद्यगीत।
मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति .
सादर
प्रेम से पगी रचना
बहुत सुंदर रचना
आभार आपका
बहुत आभार माननीय 🙏
आभार आपका
आभार 🙏
आभार सादर 🙏
इस बेहतरीन लिखावट के लिए हृदय से आभार Appsguruji(जाने हिंदी में ढेरो mobile apps और internet से जुडी जानकारी )
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