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सुनो, उठो न!


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आज फिर
तुमने मेरे आने का इंतजार नहीं किया
मैं तो तुम्हारे लिए ही गयी थी
उठो, देखो न एक बार
ये होठों की लाली, आँखे ये काली
तुम्हारे लिए ये साड़ी सजा ली
तुम नहीं हो तो क्या
खिड़की से चाँद ही निहारती रहूँ,
क्या करूँ इन चूडियों को
खनकने से कैसे रोकूँ
कि तुम्हारी नींद न टूट जाये,
सोते हुए तुम्हारी मासूमियत पर
जो निखार आता है
उसे देखकर ही तो मेरा
हर दिवस, हर वार आता है,
तुम्हारा भोलापन तो मुझे
जी भरके शिकायत भी नहीं करने देता,
सुनो न!
ये पागलपन नहीं
मेरा प्यार ही सुन लो
तुम्हे जी भरके देख लूँ
बाहों में मिलो न मिलो
आँखों में क़ैद कर लूं,
जितने तुम इस हाल में हो
इतने ही मेरे अंतर में मिलो,
सुनो,
सुन रहे हो न!
हाँ, तुमहीं तो
सुन रहे हो।

Revival

Words never leave hope.
Words never die. It's me and you.... 
everyday alive and every time die.



A new morning of vision.

When early morning you're desperate to see the message for which waiting so long. But a blank emerges there and you try to hold yourself anyhow for the sake of life.


मेरी खुशी

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जी करता है
एक मन्नत का धागा बांध दूँ,
कलाई पर तुम्हारी,
काला टीका लगा दूँ
माथे पर
जो दूर से दिखे,
बुरी नज़र पास आने की
हिमाकत न कर सके,
एक ताबीज बनाकर पहना दूँ,
गले में
जो तुम्हे अजेय बनाये रखे,
मुझे ये तुम्हारा
आईना देखकर संवरना
बिल्कुल भी नहीं अच्छा लगता,
दुनिया की नज़र से तो बचा लूँ तुम्हे
पर अपनी नज़र खुद पे ही
खराब करने लगे हो आजकल,
कितने वहमी हो गए हो
खुद को ही कसौटी पर
रखने लगे हो आजकल,
कोई तुमसा भला होगा क्या?
एक विश्वास वाला रुद्राक्ष भी होगा
तुम्हारे बाजू पर,
मेरी खुशी के लिए।

An Evening with you


मेरी पहली पुस्तक

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