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तम्बू से रामलला महल में आयेंगे

 तम्बू से जब उठे लला अपने महल में आयेंगे

आयेंगे जो महल में संग सिया को भी लायेंगे

लायेंगे जो सिया को दुलारे हनुमंत भी आयेंगे

आये हनुमंत तो अयोध्या के भाग खुल जायेंगे



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मिथिला की दुलारी है जनक की प्राण प्यारी

जनक पियारी अब है अयोध्या की उजियारी

रघुनन्दन सनेही के लिए, दीये हम जलायेंगे

जलायेंगे जो दीये तो संग फाग भी मनायेंगे


सह गये सारे ही कष्ट आया समय विशिष्ट

आया समय विशिष्ट, भाग प्रधान लिखे परिशिष्ट

लिखी जो परिशिष्ट करा दो दाखिल ख़ारिज

करो दाखिल ख़ारिज, माने उसे मौलाना, पुजारी, प्रीस्ट


सोचो हर सनातनी के भाग खुल जायेंगे

तम्बू से रामलला महल में आयेंगे


मेरी पहली पुस्तक

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