Wikipedia

खोज नतीजे

Shankar Mahadevan लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Shankar Mahadevan लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

इतिश्री.... एक बुझे हुए दिये की।

GOOGLE IMAGE

शहर के कोलाहल से दूर
जंगल के वीरानों में
नयी सड़क से लगी हुई
पुरानी पशेमां गली पर
ज़्यादा दूर नहीं
उस पीपल के पीछे
एक टूटा-झुका सा
पर खण्डहर नहीं
हाँ उम्मीद का मारा
इस दरवाजे से जाता हुआ
उस निकास के आगे
बस बरसों में अपनी उम्र गिनकर
इतने ही कदम चलो
यही तो है वो आबो-हवा
जो तुम्हें बुला रही है
आशीष देने को
ये गूलर, ये नीम
और इनके नीचे सो रही
तुम्हारी माँ
इन्हीं के सिरहाने पापा भी तो हैं
ऊर्ध्वाधर लेटे
जब तक साँस थी
एक चम्मच पानी के भी
गुनहगार न हुए
आज उनकी समाधि पर
दीपक जलाकर दे ही दो
अपने जीवित होने का प्रमाण
फिर उल्टे पैरों लौटोगे
मुझे पता है
बीवी को शॉपिंग करानी है
जाते-जाते कहीं से लंब
तो कहीं से क्षैतिज हुए
खण्डहर नुमा हवेली के
एक पाये पर सर टिकाकर
श्रद्धांजलि दोगे।
इतिश्री।

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php