Wikipedia

खोज नतीजे

एक अजनबी की तरह

GOOGLE IMAGE

सुनो न, आज कविता की भाषा में
मौन आंखों से बात करते हैं।
तुम मुझे सताते हो
मैं तुम्हें दुलारती हूँ रोज-रोज,
गीत मनुहार के छोड़ो,
एक अजनबी की तरह आज फिर
मुलाक़ात करते हैं।
किस हाल में हूँ मैं ये न पूछो मुझसे,
तुम्हारी भी मुझको कहाँ कुछ खबर है,
आओ तो पहली नज़र की तरह
मिलते हैं और जवां रात करते हैं।
मुझसे निगाहें मिलाकर के बोलो
हया के इशारे पलकों पे रखो,
होठों को फुरसत मिले दो घड़ी
कुछ इस तरह रात भर बात करते हैं।

मेरे कलमबद्ध एहसास।


Priy...


My loyalty



तुम न हो तो

घर भर भी जाय तो क्या है प्रिय,
तुम न हो तो हर एक कोना एकांत है।
बस यादें ही यादें उमगती हैं मन में,
बारिशों का शोर है, मन बहुत शांत है।
दिन कट गया मगर रात ये बेदम सी लगे,
लगता है जैसे इस पल का नहीं अंत है।
तुम्हारे आवक की ऐसी लगी है लगी
न सोचूँ पर घूमे मन में तुम्हारा वृत्तान्त है।

लफ़्ज़ों में कहानी

मेरे दर्द के पन्नों में सितम की कहानी रख दे,
बारिश की हथेली पर अश्क का पानी रख दे।
हैं रुखसार तेरी आंखे नज़ाकत सी हया वाली,
ग़म तू पी जा, इनमें इक ख्वाब रूमानी रख दे।
तेरे साथ हर वो पल जो तबीयत से जिया था,
बीते इश्क़ के लम्हों की, तस्वीर पुरानी रख दे।
इस तरह छुपा खुद में, मुझे मुझमें न रहने दे,
होठों पे सदा अपनी, लफ़्ज़ों में कहानी रख दे।
बरसेंगी यूँ ही आंखें सावन की तरह हमदम,
अब मयस्सर कहाँ तू, तेरे ख्वाब नूरानी रख दे।

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php