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तुम न हो तो

घर भर भी जाय तो क्या है प्रिय,
तुम न हो तो हर एक कोना एकांत है।
बस यादें ही यादें उमगती हैं मन में,
बारिशों का शोर है, मन बहुत शांत है।
दिन कट गया मगर रात ये बेदम सी लगे,
लगता है जैसे इस पल का नहीं अंत है।
तुम्हारे आवक की ऐसी लगी है लगी
न सोचूँ पर घूमे मन में तुम्हारा वृत्तान्त है।

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मेरी पहली पुस्तक

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