महंगे कर दिए तुमने अपने शब्द

आज
तुम्हें कोई पढ़ना चाहता है
लेकिन
तुमने कर दिए महंगे अपने शब्द।
बेरोजगार जीवन में
तुम्हारे शब्द ही तो सस्ते थे
किन्तु आज
महंगाई के आसमान को छूने वाले
टमाटर और प्याज़
जैसे जमीन हो गए
हम कभी निगल नहीं पाए
तुम्हारे पथरीले शब्द
बल्कि
ये तुम्हारे शब्द ही थे
जो हमारा मन खाते थे
किन्तु आज
तुम्हे स्वीकार नहीं हमारा मन
बहुत महंगे हो गए हो
तुम भी।

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