तुम केसरिया हो


 •तुम प्रिय

तुम प्रियता

सांसारिक निजता

हिय दृष्टा हो


तुम अंतर्दिष्ट सखा हो


तुम अतीत का

नाम जप

तुम स्नेह का

प्रतीक्षित तप


मैं हूँ सूर तुम दृष्टा हो


तुम फाग

तुम ही फाग राग

अनछुआ रंग

कुसुमित पराग


मैं श्याम कमल तुम केसरिया हो


5 टिप्‍पणियां:

Onkar ने कहा…

अत्यंत सुंदर सृजन

Anita ने कहा…

फाग के रस से भीगी सुंदर रचना

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

शुभ हो होली सभी को सपरिवार

हरीश कुमार ने कहा…

बहुत सुंदर

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php