तुम न हो तो

घर भर भी जाय तो क्या है प्रिय,
तुम न हो तो हर एक कोना एकांत है।
बस यादें ही यादें उमगती हैं मन में,
बारिशों का शोर है, मन बहुत शांत है।
दिन कट गया मगर रात ये बेदम सी लगे,
लगता है जैसे इस पल का नहीं अंत है।
तुम्हारे आवक की ऐसी लगी है लगी
न सोचूँ पर घूमे मन में तुम्हारा वृत्तान्त है।

लफ़्ज़ों में कहानी

मेरे दर्द के पन्नों में सितम की कहानी रख दे,
बारिश की हथेली पर अश्क का पानी रख दे।
हैं रुखसार तेरी आंखे नज़ाकत सी हया वाली,
ग़म तू पी जा, इनमें इक ख्वाब रूमानी रख दे।
तेरे साथ हर वो पल जो तबीयत से जिया था,
बीते इश्क़ के लम्हों की, तस्वीर पुरानी रख दे।
इस तरह छुपा खुद में, मुझे मुझमें न रहने दे,
होठों पे सदा अपनी, लफ़्ज़ों में कहानी रख दे।
बरसेंगी यूँ ही आंखें सावन की तरह हमदम,
अब मयस्सर कहाँ तू, तेरे ख्वाब नूरानी रख दे।

" माँ, मैं जीना नहीं चाहती ! "

माँ
वापिस लौटना चाहती हूँ
तुम्हारे पास,
अपनी गोद में
सर रखने दो न मुझे
आज रो लेने दो जी भरकर
बच्चा बनने दो न मुझे
मैं बड़ी हुई ही कहाँ थी ?
क्योंकि
बड़े लोग गलतियां नहीं करते
न ही देते हैं
उल्टी-सीधी दलीलें
माँ
आज फिर डाँटो न मुझे
देर से उठने पर
ताकि मैं उगता हुआ सूरज देख सकूँ
और बच जाऊं
हर रात
सिसकियों में गुजारने से
बचा लो न मुझे माँ
अब और नहीं टहलना चाहती
धूप और छाँव के आँगन मे
माँ समा लो न मुझे
अपने नाभि-सूत्र में
जहाँ से
मेरे जीवन की डोर बंधी थी
मैं थक गयी हूँ माँ
और जीना नहीं चाहती !

Zindagi kya hai?



First Time Dating



We make relations or it makes us?


सुनो, उठो न!


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आज फिर
तुमने मेरे आने का इंतजार नहीं किया
मैं तो तुम्हारे लिए ही गयी थी
उठो, देखो न एक बार
ये होठों की लाली, आँखे ये काली
तुम्हारे लिए ये साड़ी सजा ली
तुम नहीं हो तो क्या
खिड़की से चाँद ही निहारती रहूँ,
क्या करूँ इन चूडियों को
खनकने से कैसे रोकूँ
कि तुम्हारी नींद न टूट जाये,
सोते हुए तुम्हारी मासूमियत पर
जो निखार आता है
उसे देखकर ही तो मेरा
हर दिवस, हर वार आता है,
तुम्हारा भोलापन तो मुझे
जी भरके शिकायत भी नहीं करने देता,
सुनो न!
ये पागलपन नहीं
मेरा प्यार ही सुन लो
तुम्हे जी भरके देख लूँ
बाहों में मिलो न मिलो
आँखों में क़ैद कर लूं,
जितने तुम इस हाल में हो
इतने ही मेरे अंतर में मिलो,
सुनो,
सुन रहे हो न!
हाँ, तुमहीं तो
सुन रहे हो।

मेरी पहली पुस्तक

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