आउट लाइन

कई पन्ने ऐसे गुज़रे ज़िन्दगी में
कि हाशिए के इस पार भी लिख दिया
अब भरने को है ये नोटबुक
बहुत से सवाल
और उनका प्रश्नचिन्ह मिटाते जवाब
कुछ सबक
और कुछ हिसाब,
थोड़ा रोना लिखा
कुछ हंसना भी लिखा
बहुत बड़ा था दोस्ती का पन्ना
अब लगता है सब कुछ लिख गया
जैसे ख़त्म होने को है ज़िन्दगी
और बनानी है
उस खात्मे को निर्धारित करती आउट लाइन
जिसके उस पार से मौत लपक लेगी
वैसे तो बाउंड्री के बाहर कैच आउट नहीं होता
पर उपर वाला अंपायर
खींच ले जाता है सांसें
इस आउट लाइन को पार करते ही.

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मेरी पहली पुस्तक

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