आज यानी कि 27 जून बांग्ला साहित्य के धरोहर बंकिम चन्द्र चटर्जी की पुण्यतिथि है. साहित्य जगत में इनका योगदान अविस्मरणीय है परंतु "वंदे मातरम" के माध्यम से जन-जन तक पहुँच गए. ७ नवम्वर १८७६ बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चन्द्र चटर्जी ने ‘वंदे मातरम’ की रचना की. मूलरूप से ‘वंदे मातरम’ के प्रारंभिक दो पद संस्कृत में थे, जबकि शेष गीत बांग्ला भाषा में लिखा गया.
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्॥ १॥
कोटि कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले।
बहुबलधारिणीं
नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं
मातरम्॥ २॥
तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वम् हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥ ३॥
त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम्
नमामि कमलाम्
अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलाम्
मातरम्॥४॥
वन्दे मातरम्
श्यामलाम् सरलाम्
सुस्मिताम् भूषिताम्
धरणीं भरणीं
मातरम्॥ ५॥
(आनन्दमठ से संकलित)
१९५० में ‘वंदे मातरम’ राष्ट्रीय गीत बना. डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद का "वंदे मातरम" के बारे में संविधान सभा को दिया गया वक्तव्य इस प्रकार है…
"शब्दों व संगीत की वह रचना जिसे जन गण मन से सम्बोधित किया जाता है, भारत का राष्ट्रगान है; बदलाव के ऐसे विषय, अवसर आने पर सरकार अधिकृत करे और वन्दे मातरम् गान, जिसने कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभायी है; को जन गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले. मैं आशा करता हूँ कि यह सदस्यों को सन्तुष्ट करेगा. (भारतीय संविधान परिषद, द्वादश खण्ड, २४-१-१९५०)"
वंदे मातरम गीत से बढ़कर एक भावना है जिसकी अनुभूति भारत देश में रहने वाले हर नागरिक को करनी चाहिए. यही कारण है कि विविधताओं से भरे इस देश में आज भी सर्व सम्मति से एकाकार है.
जय हिंद! जय भारत!
17 टिप्पणियां:
शत-शत नमन।
आनंदमठ अपने आप में एक अत्यंत पठनीय उपन्यास है जो समाज की तत्कालीन स्थिति का बड़ा मार्मिक और सजीव चित्र उपस्थित करता है।
जी मान्यवर बिल्कुल सही कहा!
नमन 🙏
..बंकिम चन्द्र चटर्जी जैसे विरल चिन्तक और पुरोधा भारतीय साहित्य का गौरव हैं , जिनके माध्यम से राष्ट्र ने आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरणा पायी | 'वन्दे मातरम 'माँ भारती की अद्भुत अभ्यर्थना है , जो युगों -युगों के लिए अमर है | महान विभूति बंकिम चन्द्र चटर्जी को कोटि नमन | उनका नाम देश का अभिमान है जो सदैव अमर रहेगा |इस भावपूर्ण स्मरण के लिए आपको साधुवाद अभिलाषा जी |
आपका भी आभार सखी!
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'नागफनी के फूल' (चर्चा अंक 3747)' पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
आभार मान्यवर...तारीख़ 29 जून होगी शायद 🙏
सही कहा
काल जई रचना ... ओजस्वी भाव जिसको गाते गाते हज़ारों झूल गए फाँसी के फंदों पर ... शत शत नमन है मेरा इन चरणों में ...
शत् शत् नमन 🙏 अद्भुत प्रस्तुति,जय हिन्द
सही कहा मान्यवर!
आभार आपका 🙏
अति उत्तम आदरणीय ।
वाह!निशब्द ...लाजवाब .
शत -शत नमन 🙏
आभार आपका 🙏
स्नेहिल आभार!
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