हाँ, मैं कुरूप हूँ....

unattractive dorky girl with glasses and pimples
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नहीं हूँ
मैं औरों के जैसी;
बस अपने जैसी
थोड़ी सी अलग हूँ,
नहीं फर्क पड़ता
कि मैं किसी दिखूँ,
पर बहुत फर्क पड़ता है
कि कैसे महसूस करते हो मुझे,
मेरे अंदर बहुत सी
साँसें सुलगती हैं
आहत करता है
तुम सबका दर्द
मुझे अपने दर्द से ज़्यादा,
भींच लेना चाहती हूँ
तुम्हें अपने सीने में
एक बच्चे की तरह
जब तुम्हें मेरी जरूरत होती है,
नहीं ढूंढती मैं तुम्हारा हाथ
अपनी जरूरतों के वक़्त
पर मेरी हथेली उठ ही जाती है
तुम्हारे माथे की सिलवटों पर
छुपा लेना चाहती हूँ
तुम्हें
अपने अहसास की छांव में
क्या फर्क पड़ता
किसी के आंकलन का मुझ पर
उनके बोलने से पहले कहती हूँ,
हाँ, मैं कुरूप हूँ
पर जीवन्त हूँ।

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मेरी पहली पुस्तक

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