नहीं चाहिए थे
तुम्हें हमारे चुम्बन
तो वापिस रख देते
हमारी हथेली पर
क्यों जूठा करने दिया
अपने होंठो पर रखकर?
नहीं चाहिए था
तुम्हें हमारा आलिंगन
तो पीठ फेर लेते
हमारे आने से पहले
क्यों सींचा उसे
अपनी छाती पर रखकर?
नहीं चाहिए था
तुम्हें हमारा स्पर्श
तो उग जाने देते कैक्टस
हमारी त्वचा पर
क्यों छूने दिया अपने रोमछिद्रों को
हमारे शानों पर सर रखकर?
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