'चांद आज साठ बरस का हो गया' इतना कहकर पापा ने ईंट की दीवार पर पीठ टिकाते हुए मेरी आंखों में कुछ पढ़ने की कोशिश की...'लेकिन मेरा चांद तो अभी एक साल का भी नहीं हुआ है' कहते हुए मैं पापा से लिपट गई.मेरी आंखों से रिस रहे आंसू बीते समय को जी रहे हैं. रोज शाम हम घर की छत पर होते हैं तीन महीने से हर रोज पापा छत पर एक तारे को अपने बेटे का नाम देते हैं और मैं अपनी मां का.तिरंगे से लिपट कर एक लाश अाई थी और जाते वक़्त दो अर्थी उठी थीं. जिसे शहादत कहते हो आप सब वो वीरानी बनकर चीखती है. थर्राती है सन्नाटों में.
To explore the words.... I am a simple but unique imaginative person cum personality. Love to talk to others who need me. No synonym for life and love are available in my dictionary. I try to feel the breath of nature at the very own moment when alive. Death is unavailable in this universe because we grave only body not our soul. It is eternal. abhi.abhilasha86@gmail.com... You may reach to me anytime.
शहादत!
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मेरी पहली पुस्तक
http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php
15 टिप्पणियां:
बहुत मार्मिक।
शहीदों को नमन।
बहुत आभार माननीय!
बहुत आभार माननीया 🙏
Jai hind
Naman
जय हिन्द जय हिन्द की सेना
जय हिन्द ! मार्मिक रचना ! दिल को छू गयी ! --ब्रजेन्द्र नाथ
मार्मिक ... स्तबद्ध हूँ पढने के बाद ...
नमन है मेरा ...
हृदयस्पर्शी पंक्तियां पढ़कर मन व्यथित हो उठा। भावपूर्ण प्रस्तुति ।
बहुत आभार आपका मान्यवर 🙏
आभार मान्यवर 🙏
बहुत आभार 🙏
जय हिंद!
जय हिंद!
बेहद मर्मस्पर्शी सृजन
आभार आपका 🙏
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