कान्हा की कलाएँ और देह त्याग

 प्रतिपदा में चित्तवृत्ति

अंगदा प्रवृत्ति हो

पूर्णिमा का पूर्णामृत

देह तेरी वृत्ति हो.


प्रभास क्षेत्र सोमनाथ

देह छोड़ चंचला

वाणी मादक, गन्ध मादक

द्वैत भाव हर गया



:ऊपर की चार लाइन में कान्हा की चार कलाएँ हैं जिन पर राधा मर मिटी थी. नीचे वर्णित है कान्हा ने सोमनाथ के प्रभास क्षेत्र में देह त्याग किया था. इससे पहले उन्होंने द्वैत भाव पर एकाकार की भावना संचारित की थी.

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Roli Abhilasha ने कहा…

धन्यवाद आपका!

Roli Abhilasha ने कहा…

आभार!

मेरी पहली पुस्तक

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