मुझे यक़ीन है
एक दिन
तुम अपने
बच्चों के बच्चों को
सुना रहे होगे
अपनी प्रेम-कहानी
और वो कौतूहल वश पूछ बैठेंगे
"दादू ये प्रेम क्या होता?"
और तुम हँसकर
बात टालने की बजाय
उन्हें समझाओगे,
"ये प्रेम ज्वर नहीं
देह का सामान्य ताप
हुआ करता था
जिन्हें पढ़ सकते थे
केवल तापमापी यंत्र
….."
मुझे ये भी यक़ीन है कि
इसके आगे तुम
कुछ नहीं बोल पाओगे
तुम्हें चाहिए होगा
अपने आँसू पीने को
मेरी आँखों का पानी
कल आज और आने वाले कल में
यही तो शेष रह जायेगा.
प्रेम बचाकर रखेगा
अपना अस्तित्व
डायनासोर के मानिंद
जिसे हम में से किसी ने नहीं देखा
पर कहा जाता रहेगा
युगों-युगों तक
सबसे बड़ा प्राणी.
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3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर नई अभिव्यक्ति
आभार आपका!
Bahut Sundar👌👌
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