तुमसे मिलते ही
मैंने पहला शब्द ब्रह्मांड बोला था
और तुमने असुर
तुम अविश्वास के अनुच्छेद में टहलते रहे
और मैं विश्वास की सूची में
तुमने पलाशों का झड़ना देखा
और मैंने गुलमोहर का खिलना
मेरे लिए बहुत आसान है कहना
कि तुम सही नहीं हो
फ़िर भी पूरे यक़ीन से कहती हूँ मैं
कि तुम ही सही हो...
सहरा में दोआब की कोशिश मेरी थी
ग़लत थी मैं
मैंने चाहा था उस आब से बरसती बूंदे
तुम पर गुलाबी पड़ें
इसका आकलन तुम्हारा मन
मेरी काली सोच कर गया;
मेरी आँखों ने विश्वास को
तुम्हारा सहोदर देखा था
तुम्हें लगा मैं तुमसे रिश्ते की आस में हूँ
स्वप्न में भी तुमसे कोई प्रणय नहीं किया मैंने
कोई राधा बसती होगी तुम्हारे भी मन में
पूछना उससे क्या प्रेम बस इतना ही होता?
कोई एक नाम तो और भी होगा प्रेम का
इस ब्रह्मांड में
मैं चल कर जाना चाहती हूँ उस तक
मृत्यु से पहले ब्लैक होल में समाना भी गवारा होगा
मुझे मंजूर होंगी वो यातनाएँ
जो जीवित अवस्था में भी सलीब पर टाँग दे मुझे
अगर तुम कहते हो सूरजमुखी तुम्हें देखकर नहीं खिलता!
मैंने पहला शब्द ब्रह्मांड बोला था
और तुमने असुर
तुम अविश्वास के अनुच्छेद में टहलते रहे
और मैं विश्वास की सूची में
तुमने पलाशों का झड़ना देखा
और मैंने गुलमोहर का खिलना
मेरे लिए बहुत आसान है कहना
कि तुम सही नहीं हो
फ़िर भी पूरे यक़ीन से कहती हूँ मैं
कि तुम ही सही हो...
सहरा में दोआब की कोशिश मेरी थी
ग़लत थी मैं
मैंने चाहा था उस आब से बरसती बूंदे
तुम पर गुलाबी पड़ें
इसका आकलन तुम्हारा मन
मेरी काली सोच कर गया;
मेरी आँखों ने विश्वास को
तुम्हारा सहोदर देखा था
तुम्हें लगा मैं तुमसे रिश्ते की आस में हूँ
स्वप्न में भी तुमसे कोई प्रणय नहीं किया मैंने
कोई राधा बसती होगी तुम्हारे भी मन में
पूछना उससे क्या प्रेम बस इतना ही होता?
कोई एक नाम तो और भी होगा प्रेम का
इस ब्रह्मांड में
मैं चल कर जाना चाहती हूँ उस तक
मृत्यु से पहले ब्लैक होल में समाना भी गवारा होगा
मुझे मंजूर होंगी वो यातनाएँ
जो जीवित अवस्था में भी सलीब पर टाँग दे मुझे
अगर तुम कहते हो सूरजमुखी तुम्हें देखकर नहीं खिलता!
6 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 30 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 31 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुन्दर अभिव्यक्ति
स्वपन में भी तुमसे कोई प्रणय नही किया मैंने।
वाह बहुत ही सुंदर।
पड़कर अच्छा लगा।
आभार
वाह! अद्भुत रोली जी!!!
तुम्हें लगा मैं तुमसे रिश्ते की आस में हूँ
स्वप्न में भी तुमसे कोई प्रणय नहीं किया मैंने
कोई राधा बसती होगी तुम्हारे भी मन में
पूछना उससे क्या प्रेम बस इतना ही होता?
वाह!!!
बहुत सुन्दर... लाजवाब।
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