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मैं और तुम

मैं मामूली हरकतें करने लगा हूँ
ताक़ि तुम मुझे पा सको
इनके बीच,
मग़र तुम पाओगे कैसे
तुम तो बस वो देखते हो
जो देखना चाहते हो।

मैं शब्द-शब्द अब भी तुम हूँ
उसी अधूरी मुलाक़ात की मोड़ पर
मेरा यक़ीन तुम्हें लेकर आएगा
फ़िर मिल बैठेंगे दो...
एक मन आकुल
दूजा आखर व्याकुल।

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php