आओ एक कहानी लिखें
जिसमें स्त्री पुरुष हो
और
पुरुष … स्त्री,
क्या संभव है
एक पुरुष के लिए
स्त्री बनना?
आज सोचा
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तो समझ आया
स्त्री बहुत महान है,
वो हर साँचे में ढल जाती है,
हर किरदार में
समा जाती है
और पुरुष
वो तो स्त्री से जन्मा,
समा लेती है
स्त्री
उसे अपने अंदर
तन से,
मन से,
अर्पण से,
फिर भी
पुरुष दम्भी
और
स्त्री कुंठित क्यों???
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