वुड बी मदर हूँ मैं....

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तुम जैसे-जैसे बड़े हो रहे हो
मेरे भीतर
मेरी देह आकार बदलने लगी 
उठना-बैठना, चलना-फिरना
सब कुछ बदल गया 
मेरी दिनचर्या के साथ,
यहाँ तक कि मेरी सूरत भी
कभी खूबसूरत दिखती मैं
तो कभी न देख सकने वाली सूरत
महसूसना चाहती हूँ
तुम्हारा हिलना-डुलना हर पल
जब रातों में तैरते हो मेरे अंदर
बहुत जी चाहता है
थपकी देकर सुला दूँ
अनायास ही लोरी आ जाती है
होंठों पर,
पूरे शरीर में आ गए हो तुम
कीवी, नींबू, सन्तरा
और अब तो एक बड़े आम 
के आकार में दिखते हो
सिर पर आए बालों ने
तुम्हें बच्चा बना दिया,
सुन सकते हो न मुझे
तभी तो हर तेज आहट पर
प्रतिक्रिया महसूसती हूँ तुम्हारी
अपनी भूख से ज़्यादा 
खाने लगी हूँ आजकल
वजह-बेवजह डॉक्टर को फ़ोन लगाती हूँ
झेल जाती हूँ उसका तंज भी
कि मैं दुनिया में 
पहली वुड बी मदर तो नहीं,
मेरी हजार चिन्ताएं
और इनकी एक तसल्ली भरी छुवन
मेरी हर उत्सुकता को पल में शांत करते
मेरा रोम-रोम खिल जाता
जब ये कृतज्ञ भाव से आँखें झुकाते
मानो मुझे धन्यवाद दे रहे हों
जीवन की सबसे बड़ी खुशी 
अर्पित करने को
... और फिर तुम
कुलांचे भरते रहते अंदर
जब तक कि
ये अपने हाथों की थपकी से न सुला दें।

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मेरी पहली पुस्तक

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