गरीब की दिवाली



खुशबुएँ सिधारीं
हेराई गयी मिटिया
रोई के आंख मूंदे
छज्जे बैठी बिटिया
दिया-बाती तेल नाइ
ना खावे को रोटिया
उल्लू लक्ष्मी लै उड़े, पूजे
सालिगराम की बटिया
कपड़ा ना बताशा-खील
कहाँ मिले खुटिया
गरिबिया से नेह बढ़ि
अंसुवन से पिरितिया
बस सपना मा रहि गईं
देवारी की बतिया...

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मेरी पहली पुस्तक

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