शब्द ही शिव हैं


शब्द ही शिव हैं
कभी प्रेम के रचे जाते हैं
कभी उद्वेग
तो कभी अंत के.

आच्छादित करते हैं
मन की तृष्णा को
समय के बहाव
और नदी के वेग को.

है शब्द का अमरत्व ये
कर में सरल है
दिमाग में भुजंग हैं
मन में महत्वहीन बन जाते हैं.


कविता का शीर्षक माननीय अनूप कमल अग्रवाल जी "आग" के शब्दों से उद्धत है 🙏


13 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ओम शब्द , ओम ब्रह्म।
सुन्दर रचना है।

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -7 -2020 ) को शब्द ही शिव हैं( चर्चा अंक 3769) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
---
कामिनी सिन्हा

Roli Abhilasha ने कहा…

बहुत-बहुत आभार आदरणीया आपका 🙏

Roli Abhilasha ने कहा…

आभार आपका!

Roli Abhilasha ने कहा…

आभार आपका!

Roli Abhilasha ने कहा…

हृदयतल से आभार डॉक्टर साहब 🙏

Rakesh ने कहा…

शब्द ही शिव है शिव ही सत्य है
बहुत सुंदर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शब्द शिव और शिव सुंदर ...
लाजवाब भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

Roli Abhilasha ने कहा…

आभार आपका!

Roli Abhilasha ने कहा…

बहुत आभार आपका माननीय!

Roli Abhilasha ने कहा…

आभार आपका!

Janvi Pathak ने कहा…

बहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak

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