मुक्त कर दो न हमें
प्रेम के ब्रह्मास्त्र से
बांट लेते हैं
अपने अपने हिस्से की जमीन
तुम अपनी सल्तनत में
प्रेम के बीज बोना
और मैं सींचता रहूंगा वो स्नेह
जो चलते हुए तुम
आलिंगनबद्ध कर दे गईं थीं.
बोलो, इस तरह बचाकर
रख सकोगी प्रेम का वर्तुल स्वरूप?
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