ये रोशनी
ये सवेरा
और अंधेरे में
चमकता हुआ
ये तुम्हारा चेहरा।
वो एक शाम पुरानी सी
लगने लगी है
जैसे एक कहानी सी।
वो किनारे, वो सितारे
और वो एक मैं
जो तेरी आंखों में ढूंढता था सहारे
आज सब खामोश है।
इन खामोशियों के बीच भी
तुम चुपके से आकर
कर जाती हो कई सवाल
मेरी आँखों में ढूँढती हो
उस गुनाह का पश्चात्ताप
जो मैंने कभी किया ही नहीं
और मेरा प्रेम बदहवास सा
तुम्हारी आँखों में मेरा फ़रेब ढूंढता है
ये जानते हुए भी
कि मैंने तो बस प्रेम किया है।
आ जाओ कि इक बार
मेरे दर्द को कफ़न पहना दो
ये मुर्दानगी
ये आँसुओं के सैलाब
मुझसे नहीं जिए जाते
ये पल-पल की तिश्नगी
ये घूँट-घूँट का ज़हर
मुझसे नहीं पिए जाते।
इस कदर पनाह मत देना मेरे दर्द को
कि मैं तेरा आदी हो जाऊँ
तू हँसती रहे बेपनाह मुझ पर
और मैं तेरा फरियादी हो जाऊँ।
To explore the words.... I am a simple but unique imaginative person cum personality. Love to talk to others who need me. No synonym for life and love are available in my dictionary. I try to feel the breath of nature at the very own moment when alive. Death is unavailable in this universe because we grave only body not our soul. It is eternal. abhi.abhilasha86@gmail.com... You may reach to me anytime.
तू हँसती रहे मुझ पर...
हाँ, मैं कुरूप हूँ....
महंगे कर दिए तुमने अपने शब्द
आज
तुम्हें कोई पढ़ना चाहता है
लेकिन
तुमने कर दिए महंगे अपने शब्द।
बेरोजगार जीवन में
तुम्हारे शब्द ही तो सस्ते थे
किन्तु आज
महंगाई के आसमान को छूने वाले
टमाटर और प्याज़
जैसे जमीन हो गए
हम कभी निगल नहीं पाए
तुम्हारे पथरीले शब्द
बल्कि
ये तुम्हारे शब्द ही थे
जो हमारा मन खाते थे
किन्तु आज
तुम्हे स्वीकार नहीं हमारा मन
बहुत महंगे हो गए हो
तुम भी।
मेरी पहली पुस्तक
http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php
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