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रोटी पर घूमती दुनिया

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शब्दों से ध्वनियों को विरत कर

उसने कहा, 'अब कहो प्रेम'

बधिर हो लाज तज

एक मूक ने उन आँखों पर लिख दिया

'अब भी हूँ तुम्हारी सप्रेम’

एक मूक से वाचाल भी

अब मूक हो गया


तवे पर रोटी का सिक जाना

कोई नयी बात कहाँ

प्रेम में रोटी दो जून की बनाना

कोई नयी बात कहाँ


रोटी और तवे का स्नेह जलता रहे!

@main_abhilasha




दो क्षणिकाएँ

१. तुम आग हो
तो मैं एक रसायन
आओ मिलकर बनाते हैं
जैविक हथियार
और समूचे ब्रह्मांड में
फैला देते हैं
प्रेम का वायरस.


२. प्रतीक्षा है मुझे
उस दिन की
जब पृथ्वी
अपना गुरुत्व खो देगी
और मैं
तुम्हारा हाथ थामकर चलूँगी
तुम्हें मंगल ग्रह तक छोड़ने…

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php