Wikipedia

खोज नतीजे

शिवरात्रि लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शिवरात्रि लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

आओ शिव उद्धार करो




जब प्रेममयी धरा छलकी

तब अम्बर गहराया नभ पे

नदिया लहर निचोड़ चली

तो सागर भी रोया छल से

ज्यों वायु किलोरे मार रही

त्यों रुप प्रसून बिसूर रहा

यूँ प्रेमी हिया में आस जगी

के प्रेम का आविर्भाव हुआ


फिर प्रेम चला मुँह मोड़ एक दिन

रुठ गये खुशियों के सब पल-छिन

प्रेमी मन का प्रकट चीत्कार हुआ

कलुषित वेदना का यलगार हुआ


यूँ अगन जली हिमशिला गली

आहत हठ, भागीरथ फिसली

इक गंगा प्रलय की ओर चली

हाहाकार मचाने को, निकली


है आस शिव रौद्र रुप गर्जन वाली

किस तरह जटा में प्रलय सम्हाली

करबद्ध जप रहे हैं, सब नाम प्रभु

दिखला दो छवि अब वही निराली

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php