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सिगरेट चुम्बन है

 हर रात वो

लाइटर की आग से

जलाती है

कागज़ के चंद टुकड़े

और अपने मन को

समझाती है अक्सर

कि उसने जला दी अपनी

अंतिम प्रेम कविता भी;

देर तक काले टुकड़े

हवा में तैरते हैं

और उसे टीसते हैं

सिगरेट से भीगे होंठ.

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php