अच्छा सुनो
बहुत हुआ ये सब
धर्म पूछकर मारा
नाम पूछकर मारा
कलमा पढ़वाकर मारा
या मारने से पहले कुछ भी नहीं पूछा
मगर मारा तो
या इससे भी मुकर सकता है कोई?
मुझे यह सब नहीं कहना
मेरा कंसर्न है कि 'वो' कहाँ है
कहाँ है 'वो'?
जब भी कुछ होता है
बैठ जाता है 'वो' दुबककर
किसी को नहीं बचा पाता!
अब मुझे भी नहीं बचाना है 'उसे'
अपने भीतर
कह देना जाकर
अगर कह सको,
"तुम्हारा एक फाॅलोवर कम हो गया है ईश्वर"
~अभिलाषा