इक अदीब (विद्वान) की कलम से
बहुत कुछ गुज़र गया,
मैं अदम (अस्तित्वहीन) सी सँजो चली उसे
छँट गयी मेरी अफ़सुर्दगी (उदासी)
तू असीर (क़ैदी) बना ले मुझको
मेरे आतिश (आग)
अभी असफ़ार (यात्राएँ) और हैं ज़ानिब
तेरे लफ़्ज़-लफ़्ज़ आराईश (सजावट) मेरी
मेरी इक्तिज़ा (माँग) क़ुबूल कर
बोल दे तेरा हर इताब (डाँट)
मुझे इफ़्फ़त (पवित्रता) दे
मेरे क़ाबिल (कुशल) कातिब! (लेखक)