To explore the words.... I am a simple but unique imaginative person cum personality. Love to talk to others who need me. No synonym for life and love are available in my dictionary. I try to feel the breath of nature at the very own moment when alive. Death is unavailable in this universe because we grave only body not our soul. It is eternal. abhi.abhilasha86@gmail.com... You may reach to me anytime.
समय तेरा जवाब क्या.....!
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आते हुए उसने खटकाया भी नहीं
जैसे दबे पाँव मगर
निडर चला आया हो कोई,
एक सवाल था उसकी आँखों में
कि मैं उसके आने के जश्न में
शामिल क्यों नहीं औरों की तरह,
कैसे बताऊँ उसे
जब स्वागत और प्रतिकार में
कोई फर्क ही नहीं
कौन रुकने वाला है मेरे रोकने से
न घड़ी की सुइयाँ,
न ही समय में लिप्त दर्द,
इस रूह कँपाती सर्दी में
नए वर्ष का जश्न
एक सुखन दे गया,
आज वो भी खुले आसमान के नीचे
बिना कपड़ों के आवारा थिरक रहे हैं,
जिनकी तिजोरियाँ बोझ से दरक रही हैं,
कल सुबह यहीं से बच्चे
बीनकर ले जाएंगे
खाली ब्रांडेड बोतलें;
वो आ गया है अपना समय पूरा करने
उसे भी तो देखना है
कितनी हाँड़ी बिना भात की हैं,
कितने नन्हे भूखे सोये,
कितनी माँओ ने पानी डालकर
दाल दोगुनी कर दी,
कितने लाल रेस्टोरेंट के नाम पर
पानी में दाल का बिल भरते हैं:
उसे अपना चक्र पूरा करके
चले जाना है,
क्या फर्क पड़ता उसे विषमताओं से,
उसमें संवेदना की बूंद तक नहीं
वो तो है हर रोज़
कैलेंडर पर बदलती एक नयी तारीख।
अब न होगा....ये तेरा घर....ये मेरा घर
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ये दुनिया बदलती ही रहती है
हर पल
हमारी पृथ्वी,
इसे गोल-गोल घूमते उपग्रह
और वो भी
जिसके परितः हम घूमते हैं
पृथ्वी के संग;
अगर सृष्टि परिवर्तित होती है
तो हम भी कुछ कम नहीं,
हमारे वैज्ञानिक
मल्टी-प्लेनेट प्रजाति में
भविष्य देख रहे हैं,
फैलकन 9 इंजन
मंगल ग्रह पर प्रोपल्सिव लैंडिंग तो
16 बार कर चुका है,
अब ऑक्सीजन संग मानव की बारी है
जिसकी खातिर 1200 टन
ऑक्सीजन भंडारण क्षमता की
डीप क्रायो लिक्विड ऑक्सीजन टैंक
मैदान में उतारी है,
अब वहाँ ले जाने को
नया शिप बनाया जाएगा,
2022 में मंगल पहुंचाने का मिशन लाया जाएगा
उपरोक्त मेरे नहीं
28 सितम्बर 2017, एडिलेड में
इंजीनयर, अविष्कारक
'इलोन मस्क' द्वारा व्यक्त उदगार हैं,
अब तो बस हर दिल अजीज़
ये तेरा ग्रह, ये मेरा ग्रह गुनगुनाइए
कदमों से भले ही दूर रहिये
पर दिलों के करीब आइये।
जाने क्यों मेरा मन आज बंजारा हो गया!
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भटकता फिर रहा है बेसुध सा
राही है किसी पथ का न रहबर
फ़िज़ा-फ़िज़ा में कुछ तलाशे है
ढूंढे हवा-हवा आशियाना
नील-गगन में इंद्रधनुष की छत के तले
हवाओं के सहन में रहना चाहे
किसी डोर पे ये ठहरे न कहीं
सरे-शाम से ही आवारा हो गया
जाने क्यों मेरा मन आज बंजारा हो गया।
अठखेलियां करे हिरनियों सी
इठलाए नदी की रवानियों में
टहलता रहे बादलों, तितलियों सा
है तो मेरा, मुझसे भी भागा फिरे
डोर रह गयी मेरे हाथ में
छोड़कर मेरा मधुमास
ऐसी लगी इन निगाहों की प्यास
कि थम गयी तुमपे तलाश
अपना तो हुआ न कभी, तुम्हारा हो गया।
कैसे पहुँचे 10,000 पाठकों तक 1 घण्टे में!!!
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बहुत दिमाग घुमाया
सर चकराया
गुस्सा भी आया,
क्या मेरी बातें हैं
जलेबी की तरह गोल-गोल
समझ नहीं आते लोगों को
मेरे सीधे बोल
जो मेरे संग नहीं बिताते
दो मिनट अनमोल,
2017 तो गया बीत
कहाँ बदली उनकी रीत
मैं हारी नहीं तो क्या
कहाँ हुई जीत,
लिखने से पहले
अब पूछती हूँ खुद से
कि मेरी बेजान लेखनी
अब कौन पढ़ेगा
फिर दिमाग कैसे
कोई सृजन गढ़ेगा,
इस व्यंग्य को पढ़ने वालों
मेरे प्रिय मित्रों
मेरा सवाल सुलझा दो
कहीं मिलता हो गर
दस हजार का आँकड़ा
मुझे भी दिला दो,
कमेंट बॉक्स में उत्तर लिखे बिना मत जाना
पहली बार मंगल ग्रह पर पार्टी रखी है
आप सब जरूर आना,
2018 दस्तक पर है
मुस्कराते हुए बुलाना
वर्ष का हर दिन मंगलमय हो
बस गुनगुनाते हुए बिताना।
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