इकतीस दिनों के महीने का
आखिरी वाला दिन
कितनी नाउम्मीदी और
बेचैनी से बीतता है
एक बंधी हुई
तनख्वाह उठाने वाला
साधारण सा मध्यमवर्गीय
परिवार बता सकता है,
रसोईं घर के खाली बजते हुए कनस्तर
खाने की मेज पर कम हुई फलों की मात्रा
फ्रिज में मुँह चिढ़ाती महज पानी की बोतलें
दाल में बढ़ गयी तरलता
बच्चों का आखिरी पन्ने पर घना-घना लिखना
बाबूजी का टूटा हुआ चश्मा धागे से बाँधना
हर महीने की बीस तारीख को
मुन्नी की गुल्लक इस आश्वासन पर तोड़ना
कि इस बार तो सूद के साथ भरेगी
बहुत डरावना होता है
बीस से तीस के बीच का सफर
जब विवशता में एक और दिन जुड़ता है
बहुत खीझ आती है
क्यों लंबी हुई अवधि महीने की
जबकि बाबू तो इस बार भी
वही पतला सा नोटों का लिफाफा देगा,
ये समझे बिना
कि मुन्ना इकतीस को भी
दूध की उतनी ही शीशी माँगता है
काला धुँआ छोड़ता इनका स्कूटर
उसी ईंधन में दफ्तर पहुँचता है
फिर भी गृहणी
उम्मीद पर मुस्कराती है
कि कल पहली तारीख है
सब ठीक हो जाएगा।
To explore the words.... I am a simple but unique imaginative person cum personality. Love to talk to others who need me. No synonym for life and love are available in my dictionary. I try to feel the breath of nature at the very own moment when alive. Death is unavailable in this universe because we grave only body not our soul. It is eternal. abhi.abhilasha86@gmail.com... You may reach to me anytime.
पहली तारीख...
तुम्हारी शुभ यात्रा
मंजिल की ओर उठा हुआ
तुम्हारा पहला कदम
अनवरत बढ़ता रहे,
तुम्हारी सोच के
आकार का विस्तार
हर दिशा में हो
तुम्हारी सफलता
हर उपमा से परे हो
तुम्हारा यश आलोकित हो...
'तुम'...
'तुम'
क्या हो तुम
ठहरी हुई झील
गिरता हुआ झरना
बहती हुई नदी
अथाह समंदर
या फिर
उसको भी समाहित करता
महासागर;
नहीं
इनमें से कुछ भी नहीं हो तुम
तुम तो एक बूंद हो
......
हाँ वहीं
जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन
का संयोजन हैं हम
तुम अगर सूत्र हो
तो समीकरण हैं हम.
जब हम...तब तुम
बेड नंबर एट...और तुम
हममें हमको बस...'तुम' दे दो
क्या यही प्यार है?
'सुनो न, ये मेहंदी कैसी लग रही'
'आज तुम पूरी की पूरी बहुत खूबसूरत लग रही हो' कहते हुए हैंग आउट पर ही कुछ उबासी ली।
'अच्छा देखो...तुम्हें नींद आ रही है थक गए होगे...आराम करो'
'नहीं डार्लिंग तुम्हारे लिए तो...' कहते हुए एक और उबासी।
'...अच्छा इतना कहती हो तो ठीक है सुबह बात करते हैं' हैंग आउट ओवर...पत्नी को नींद नहीं आई, उसने अपनी बहुत पुरानी आई डी लॉगिन की...सामने पति की ही आई डी दिख गई...मजाक के मूड में फ्रेंड रिक्वेस्ट कर दी..रिक्वेस्ट एक्सेप्टेड..और एक के बाद एक मैसेज आने लगे...
गलती से पत्नी ने मैसेज कर दिया 'आप सोए नहीं अब तक'
'मतलब...क्या कहना चाहती हैं आप?'
'सॉरी मेरा मतलब रात के दो बजे रहे..तभी पूछा'
15 मिनट तक फॉर्मल बातें और सफेद झूठ की रंगीनियां चलती रहीं...अचानक ही स्क्रीन पर एक मैसेज दिखता है..
'क्या इतनी रात तक भी तुम फॉर्मल ही रहती हो बेबी...अब कुछ रोमांटिक भी हो जाए'
'रोमांटिक उफ़्फ़ वीडियो चैट पर आते हैं...'
वीडियो चैट पर आते ही पति की आँखों से नींद गायब और उसे अब तक मदद की दरकार है करवा-चौथ पर अपनी पत्नी का सामना कैसे करे।
आओ न प्रेम को अमर कर दो
फिर भी पूरा जनम है
सात फेरे न सही
हम तेरे तो हैं,
सुहाग का चूड़ा, बिछुआ, महावर
आरती का थाल
सब कुछ सजाया है
अब मान भी जाओ हमारी मनुहार
आज चंदा को अपनी नथ बनाना है
चाँदनी की पालकी में
प्रेम डगरिया जाना है,
पीपल की ओट से
स्नेह का दिया मत दिखाना
छत पर चाँद उतरने का भ्रम मत बनाना,
हमें तो दूर आसमानों में फैली
वो लाली चाहिए,
पूरा चाँद तो तुम ही हो मेरे;
कभी मन में पसर जाती है
उम्मीदों की अमावस
तब तुम्हीं तो हो न जब आँखें झुकाकर
स्वीकारोक्ति देते हो
अपने होने की, हमारे साथ हर पल,
हम नेह के सूत पर
आँखें मूँदकर चल पड़ते हैं,
तुम्हारा होना हमारे मन का उजाला जो है,
तुम हो तो हम हैं
अब आओ भी
मन कितना प्रेम-पिपासु हो रहा,
शब्दों के छज्जे पर
इसकी वय न ढ़लाओ,
श्री-गणेश कर दो कि
मन से मन का एकाकार तो हो गया
देह को हमारे नाम से मुक्त कर दो
हमें पतिता बना दो,
समा लो हमें खुद में
समर्पण का गठबंधन करा दो,
सोंख लो बून्द-बून्द हमारे कौमार्य की
हमें ईश की ब्याहता बना दो
बहुत हो गया बातों का परिणय
अब तो हमें अमरपान करा दो!
मेरी पहली पुस्तक
http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php
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