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पहली बार

जब पहली बार निकलो यात्रा पर
तो कुछ भी न रखना साथ
चाकू, घड़ी, छतरी, टिश्यू पेपर, टॉयलेट सोप...
आदि कुछ भी नहीं
कहीं अगर ले लिया
इन सामानों से भरा झोला
तो कंधे थक जाएंगे
और तुम्हें नहीं मिलेगा
सफ़र का भरपूर मज़ा.
मैं भी तैयारी में हूँ
एक अनन्त यात्रा की
जो बिल्कुल पहली बार होगी
और कुछ नहीं होगा साथ
सिवाय तन पर एक सफ़ेद लिबास के...

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.10.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3498 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की गरिमा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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    1. देर से पढ़ने के लिए क्षमा चाहती हूँ.
      बहुत आभार आपका 🙏

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  2. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 24 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. देर से पढ़ने के लिए क्षमा चाहती हूँ.
      बहुत आभार आपका 🙏

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 24 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. देर से पढ़ने के लिए क्षमा चाहती हूँ.
      बहुत आभार आपका 🙏

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  5. कंधों पर जितना कम बोझ होता है, यात्रा उतनी ही सुखद रहती है। बहुत गहन और सारगर्भित रचना।

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