जब भी उदासी पढ़ती हूँ तुममें
देख लेती हूँ मुस्कुराते हुए तुम्हारे चित्र
बचपन के भी...कोशिश करती हूँ
तुम्हें पहचानने की अपनी आँखों से
प्रेम में आँखें कभी झूठ नहीं बोलतीं
मेरा 'आई लव यू' तुम्हारे लिए
तुम्हारी उपस्थित अनुपस्थिति में
बहुत से पीड़ादायक पलों को परे कर
हर्ष की अनुभूति में लिपटा एक बोसा.
मेरी भोर की नींद तुमसे मिलने को
उचटने जो लगी है...
मेरी हिचकियों में भी अब तुम्हारी स्मृति नहीं
प्रेम कविताओं में पगे पल रहने लगें हैं
आज दे रही हूँ तुम्हें प्रेम में पगे ढाई आखर.
प्रणय दिवस के अवसर पर सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार आपका!
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 15 फ़रवरी 2021 को चर्चामंच <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ बसंत का स्वागत है (चर्चा अंक-3978) पर भी होगी।
बेहद आभार माननीय!
हटाएंबहुत सुंदर रचना...🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएंआभार माननीया!
हटाएंप्रेम पगी खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआभार आपका माननीय!
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार माननीय
हटाएंजब भी उदासी पढ़ती हूँ तुममें
जवाब देंहटाएंदेख लेती हूँ मुस्कुराते हुए तुम्हारे चित्र
बचपन के भी...कोशिश करती हूँ
तुम्हें पहचानने की अपनी आँखों से
प्रेम में आँखें कभी झूठ नहीं बोलतीं
मेरा 'आई लव यू' तुम्हारे लिए...अतिसुंदर
आभार आपका!
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत आभार!
हटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंआभार माननीया!
हटाएंबसंतोत्सव की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीया रोली जी।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार!
हटाएंबेहद खूबसूरत ब्लॉग है। बहुत सुंदर लिखते हैं आप। love ur write up Mam❤❤
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