मैंने लिखना छोड़ दिया है

GOOGLE IMAGE

तुम्हारी मुस्कराहटों के नाम 
वो जो रक्तिम अक्षर थे 
आखिरी थे मेरी कलम से
तोड़ दिया अग्र भाग
कि ये विवश हो जाये,
अब नहीं होगी न, वो स्याही
जो तुम 
अपनी देह की ऊष्मा पिघलाकर
दिया करती थीं,
तुम्हारी झनकार लय थी
मेरे गीत का
सुलझाते हुए तुम्हारे अलकों को
शब्द बिखरते थे हर पन्ने पर
जब झुकाती थीं तुम पलकें
माधुर्य सिमट आता था कविता में;
न भी होती थीं तो
मुझमें छुपी होती थीं
तुम तो चुरा ले गईं खुद को मुझसे
अब कहाँ से लाऊँ वो रस
मैंने लिखना छोड़ दिया है
क्योंकि
रूठे हुए मीत को मनाऊँ कैसे
बिन मीत गीतों में रस लाऊँ कैसे

मैं मृत्यु हूँ...

GOOGLE IMAGE

कोई भी मुझे जीत नहीं सकता 
मैं अविजित हूँ,
गांडीव, सुदर्शन, ब्रह्मास्त्र हो या
ए के-47...56
इनकी गांधारी हूँ मैं,
समता-ममता, गरिमा-उपमा
मद, मोह, लोभ-लालच,
ईर्ष्या, तृष्णा, दया,
शांति...आदि 
सभी उपमाओं से परे हूँ;
मेरा वास हर जीवन में है
जन्म के समय से पहले ही
मेरा निर्धारण हो जाता है
बूढ़ा, बच्चा और जवान 
मैं कुछ भी नहीं देखती
क्योंकि मैं निर्लज्ज हूँ;
गरीबी-अमीरी कुछ भी नहीं है
मेरे लिए,
दिन क्या रात क्या,
झोपड़ी, महल और भवन
इनके अंदर साँसे लेता जीवन
मेरी दस्तक से ओढ़ता है कफन
इमारतें हो जाती हैं बियाबान
मंजिल है हर किसी की
बस शमशान;

GOOGLE IMAGE
..........
अगर नहीं किया मेरा वरण
तो कैसे समझोगे प्रकृति का नियम
बिना पतझड़
कैसे होगा बसंत का आगमन,
पार्थ को रणक्षेत्र में
मिला है यही ज्ञान
मौत से निष्ठुर बनो
न हो संवेदनाओं का घमासान
गर डरो तो बस इतना कि 
मैं आऊँ तो मुस्करा कर मिलना
अभी और जीना है
अच्छे कर्म करने को
ये पश्चाताप मन में न रखना,
मेरा आना अवश्यम्भावी है
मैं कोई अवसर भी नहीं देती,
दबे पाँव, बिन बुलाए
आ ही जाऊंगी
करना ही होगा मेरा वरण
फिर क्यों नहीं सुधारते ये जीवन
पूर्णता तो कभी नहीं आती
अंतिम इच्छा हर व्यक्ति की
धरी ही रह जाती है,
पूरी करते जाओ
अंतिम से पहले की हर इच्छाएं,
ध्यान रखो 
औरों की भी अपेक्षाएं:
मैं तो आज तक
वो चेहरा ढूंढ रही हूँ
जिसके माथे पर
मेरे डर की सिलवटें न हों,
जिसके मन में
'कुछ पल और' जीने की
इच्छा न हो!

माँ शारदे...

माँ शारदे!
स्नेह से तार दे
   मेरी कलम में वो
     रोशनाई तू दे कि जो
       मन की परिभाषा मैं कह दूं
     वो भावों का संगीत हो
    हो तेरी वीणा मधुर
   शब्द मेरे रचे हों
गीत तेरा अमर!

A letter to those who write ingrezi

GOOGLE IMAGE

हमारे deer मित्रों
एक अनुभव से गुजरे हम
बीते दिनों,
फ़ेसबुक की timeline पर
अचानक एक फोटू आया
हार पहने हुए व्यक्ति
हमसे टकराया;
हमने आँखे बंद कर
दो मिनट तो नहीं
पूरे दो सेकण्ड का ध्यान लगाया
इस तसल्ली पे आँखे खोली
जब वो बोले अब मैं शान्ति पाया,
नीचे लिखे कमेंट बॉक्स को पढ़कर
सर चकराया
तब समझ आया
क्यों अब वो शांति पाया;
कमेंट बॉक्स में कुछ यूँ लिखा था
Rest in piece
क्या dye आत्मा को
शांति टुकड़ों में मिलेगी?
हे मित्रों
हिंदी बुरी नही है
अँग्रेजी आने से ज़्यादा जरूरी है
अच्छा इंसान होना
हो सुख बांटने को अपना
और ग़मों में पहचान होना,
भाषा से बड़ा भाव होता है
गर व्यक्त न कर सको खुद को सही
तो अपनेपन का अभाव होता है,
ये कविता तो बस हमारे
Deer मित्रों के लिए है,
दिल पे मत लेना जानी
हिंदी तो हमें भी नहीं आती
अंग्रेजी समझने को तरसते हैं।

ज़िन्दगी, तुम्हारे लिए!

बस इतनी सी ख्वाहिश थी मेरी
तुम सबकी खुशी में शामिल रहो
मग़र ए ज़िन्दगी!
तुम्हारी खुशी तो
मेरी मय्यत पर भी
मुकम्मल नहीं,
अब क्या करूँ इस रूह का
जो जनाज़े को तरसती है
सुबह कर दो मेरे ग़मों की
मेरी रूह को अफज़ा कर दो.

Morning wish


.....जब पास नहीं हो तुम

GOOGLE IMAGE

लिखना होता है जब बहुत प्रेम
तुम्हें लिख देती हूँ,
मन होता है ढ़ेरों बातें करने का
हजारहां खयाल बुन देती हूं;
शाम ढले जब भी
पक्षियों को देखती हूँ
व्याकुल से लौटते हैं
अपने घरौंदों की तरफ
मैं भी बाट जोहती हूँ तुम्हारी
कि कब आओ 
और मैं तुमपे न्योछावर करूँ
प्रेम की हर बून्द
मन के रीतने तक,
घूमती रहूँ तुम्हारे इर्द-गिर्द;
कभी चुन दो न मुझे
अपने अहसास की दीवार में,
तुम पलकें झपकाओ
और मैं बन्द हो जाऊँ
काली पुतलियों के घेरे में,
मेरे दर्द को पनाह मिल जाये
तुम्हारे होने में;
कब दोगे वो रात
जिसकी सुबह मायूस न हो,
क्या करूँ
ज़िन्दगी फ़क़त इतनी भी तो नहीं 
रोज़ सुबह होती है
कलेवा भी करती हूँ,
हर अहसास वाली गुनगुनी सुबह को
शाम के दर तक ले जाती हूँ
और अक्सर 
तुम्हारे न आने का बहाना
इतनी तसल्ली देकर जाता है
कि तुम तो मेरा सवेरा हो
रातें अपने हिस्से की
कोई और ले गया;
मैं मुस्कराती हूँ हर सुबह
तुम्हारे लिए 
कि तुम भी कहीं तो खुश होगे
किसी के साथ
मुझे ईर्ष्या होती है
हर उस शय से जिसे तुम्हारा साथ मिला
उस सूरज से, रोशनी से,
दिन से, सवेरे से, 
उन दीवारों से
जहाँ बैठकर तुम लम्हे बुनते हो,
तुम्हारा आकाश एकटक
तुम्हारा नूर ताकता है
मैंने तो उल्टी गिनती भी नहीं शुरू की
जब देख सकूँगी तुम्हें,
बस शब्दों का प्रक्षेपण होता है,
महसूस करती हूँ
तुम्हारी आवाज़ का स्पंदन
अगली आवाज़ मुखर होने तक;
फिर जब बोलते हो न
तो विराम नहीं अच्छा लगता,
प्रेम करती रहूँ तुम्हें
आखिरी साँस के थकने तक
अब आराम नहीं अच्छा लगता।

What I'm


इसरो का सफ़र..


GOOGLE IMAGE

104 सैटेलाइट एक साथ लांच करने का
इसरो का था पुराना रिकॉर्ड
श्रीहरिकोटा आंध्रा से
मिल गयी एक नयी सौगात:
अप्रैल दिवस 19 सन 1975
सोवियत संघ ने मदद का हाथ बढ़ाया
भारत ने पहला उपग्रह
कक्षा आर्यभट्ट में पहुंचाया;
1980 में रोहिणी सैटेलाइट के प्रक्षेपण का
हुआ सफल प्रयास
अपना पहला राकेट एसएलवी-3 भेजा
पूरी कर ली आस;
इसरो का लोहा दुनिया ने माना है
अब आगे की योजना भी बताना है,
सूर्य के नमन को आदित्य-1
2019 में जायेगा,
2020 में शुक्र और
2021-22 मंगलयान-2 विजय गाथा गायेगा:
मार्च का महीना दूसरे चन्द्र मिशन 
चन्द्रयान-2 को समर्पित है
विश्व की नज़र हमारी सस्ती तकनीक पर है
इसरो की नज़र हर महीने 
एक रॉकेट भेजने की नीति पर है।


भारत सहित 6 अन्य देशों के 31 उपग्रह प्रक्षेपित करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत बधाई।

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php