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हमारे deer मित्रों
एक अनुभव से गुजरे हम
बीते दिनों,
फ़ेसबुक की timeline पर
अचानक एक फोटू आया
हार पहने हुए व्यक्ति
हमसे टकराया;
हमने आँखे बंद कर
दो मिनट तो नहीं
पूरे दो सेकण्ड का ध्यान लगाया
इस तसल्ली पे आँखे खोली
जब वो बोले अब मैं शान्ति पाया,
नीचे लिखे कमेंट बॉक्स को पढ़कर
सर चकराया
तब समझ आया
क्यों अब वो शांति पाया;
कमेंट बॉक्स में कुछ यूँ लिखा था Rest in piece
क्या dye आत्मा को
शांति टुकड़ों में मिलेगी?
हे मित्रों
हिंदी बुरी नही है
अँग्रेजी आने से ज़्यादा जरूरी है
अच्छा इंसान होना
हो सुख बांटने को अपना
और ग़मों में पहचान होना,
भाषा से बड़ा भाव होता है
गर व्यक्त न कर सको खुद को सही
तो अपनेपन का अभाव होता है,
ये कविता तो बस हमारे
Deer मित्रों के लिए है,
दिल पे मत लेना जानी
हिंदी तो हमें भी नहीं आती
अंग्रेजी समझने को तरसते हैं।
एक अनुभव से गुजरे हम
बीते दिनों,
फ़ेसबुक की timeline पर
अचानक एक फोटू आया
हार पहने हुए व्यक्ति
हमसे टकराया;
हमने आँखे बंद कर
दो मिनट तो नहीं
पूरे दो सेकण्ड का ध्यान लगाया
इस तसल्ली पे आँखे खोली
जब वो बोले अब मैं शान्ति पाया,
नीचे लिखे कमेंट बॉक्स को पढ़कर
सर चकराया
तब समझ आया
क्यों अब वो शांति पाया;
कमेंट बॉक्स में कुछ यूँ लिखा था Rest in piece
क्या dye आत्मा को
शांति टुकड़ों में मिलेगी?
हे मित्रों
हिंदी बुरी नही है
अँग्रेजी आने से ज़्यादा जरूरी है
अच्छा इंसान होना
हो सुख बांटने को अपना
और ग़मों में पहचान होना,
भाषा से बड़ा भाव होता है
गर व्यक्त न कर सको खुद को सही
तो अपनेपन का अभाव होता है,
ये कविता तो बस हमारे
Deer मित्रों के लिए है,
दिल पे मत लेना जानी
हिंदी तो हमें भी नहीं आती
अंग्रेजी समझने को तरसते हैं।
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