मेरी प्रेम कविताएँ
बीथोवन के जवाबी ख़त नहीं
जो तुम पुष्टि कर सकोगे
मेरे तुमसे प्रेम में होने की
न ही मैं
ब्राउनिंग की वो पोरफीरिया हूँ
जिसे उसके प्रेमी में
उसी के बालों से फंदा बनाकर
प्रेम में अमरत्व दिया
मेरा अमर प्रेम
दिन में सूरज और रात में चाँद सा है
कैसे इनकार करोगे कि
रात दिनकर का स्वागत न करे
कैसे रोकोगे मुझे कि
तुम्हारी चुपकी की पवित्र नाद से
मन भर की दूरी पर रहूँ?
चाहो तो मेरे प्रस्ताव पर ग़ौर करना
जितनी दूरी पर मैं हूँ तुमसे
इतने दायरे में मुझे हरदम मिलना.
बीथोवन के जवाबी ख़त नहीं
जो तुम पुष्टि कर सकोगे
मेरे तुमसे प्रेम में होने की
न ही मैं
ब्राउनिंग की वो पोरफीरिया हूँ
जिसे उसके प्रेमी में
उसी के बालों से फंदा बनाकर
प्रेम में अमरत्व दिया
मेरा अमर प्रेम
दिन में सूरज और रात में चाँद सा है
कैसे इनकार करोगे कि
रात दिनकर का स्वागत न करे
कैसे रोकोगे मुझे कि
तुम्हारी चुपकी की पवित्र नाद से
मन भर की दूरी पर रहूँ?
चाहो तो मेरे प्रस्ताव पर ग़ौर करना
जितनी दूरी पर मैं हूँ तुमसे
इतने दायरे में मुझे हरदम मिलना.