हम हिंदी से शर्म लिहाज करें
ये पिछड़े होने की निशानी है
क्यों कहें स्वयं को अक्षम हम
खुद से ही भेद-भाव बेमानी हैं
नहीं गुलाम हैं दूजी भाषा के
हर बच्चे में अलख जगानी है
प्रधानमंत्री जी की शुभकामना
अब जन-जन तक पहुंचानी है
इस देश के वैश्विक उत्थान को
हम सब को हिंदी अपनानी है।
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